Tuesday, May 31, 2011

मैं .. रेखा और रंग के कारण ही जाना जाता हूं ..

क्या फिर से .. मैं रेखाओं और रंगो के करीब आ रहा हूं .. चाहे इस बात में कितनी भी सचाई हो लेकिन .. यह तो तय है और सच है .. कि मैं रेखा और रंग के कारण ही जाना जाता हूं ..

मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था .. broken toys and the lost pencils .. in the childhood .. were much .. much better than – broken hearts and lost friends .. today ..

Monday, May 23, 2011

शायद .. असंभव के करीब की स्थिति ..

साक्षात्कार में .. किसी मंच पर - सिद्धांतो की बातें करना .. आध्यात्म .. दर्शन .. सहानुभूति .. मानवता .. संवेदनशीलता .. जैसे विषयों पर बढ़चढ़ कर बोलना और यथार्थ में वैसा ही होना .. शायद .. असंभव के करीब की स्थिति है ..

विचारों की आवारागर्दी ..

विचारों की आवारागर्दी तो देखो कि - कभी-कभी सोच तो नहीं मालूम कहां-कहां चली जाती है .. ये तो अच्छा है कि कोई ये नहीं जान पाता कि मैं क्या सोच रहा हूं .. और ये बात मुझे गजब का सुकून देती है और मैं फिर से सोचने लग जाता हूं ..

Sunday, May 22, 2011

इर्द-गिर्द .. ऐसा भी ..

इर्द-गिर्द .. कुछ ऐसे भी लोग अनायास मिल ही जाते हैं .. जिन्हें आप किसी बात के लिये कोई महत्व दे दें या फिर किसी कारण विशेष के लिये आप उनकी प्रशंसा कर दें तो .. वे संभवतः किसी गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं और फिर उत्पन्न मानसिक विकार .. विकृत रूप लेकर आपको ही ये अहसास दिलाने की चेष्टा करने लगता है कि आप उसके सामने कुछ भी नहीं हैं .. किसी तुच्छ स्थिति का आभास दिलाते हुए .. फिर वे .. अधिकांशतः या तो वहीं रूक जाते हैं या फिर विकासोउन्मुख न होकर शनैः-शनैः पतन की दिशा में जाने लगते हैं ..

अप्रकाशित कविताएं ..

मेरी ऐसी ढेरों अप्रकाशित कविताएं हैं जिन्हें मैं ब्लाग मैं सहेज सकता हूं लेकिन ऐसा नहीं कर पाता हूं ..
I have such numerous unpublished poems that I do not blog but I find I can save ..

क्या कहूं ..

टेलिविजन पर
मैं
कोई
रास-लीला ..
देख रहा था ..
मैं सोच रहा था ..
कि .. जो मैं
किसी की तरफ देख भी लूं
तो
लोग
मुझे आवारा .. बेशरम .. लपूट .. चरित्रहीन ..
और न जाने .. क्या-क्या
कह देते हैं ..

Thursday, May 19, 2011

सेल-फोन / मोबाइल फोन .. अभी बंद है ..

मुझे इस बात पर दुख और आश्चर्य़ होता है कि .. कोई अपने मोबाइल फोन बंद रखता है । किसी आते अवसर से कहीं ज्यादा .. शायद उन्हें आराम पसंद है ..
कई सारे ख्वाब हैं मेरे अंदर .. और कुछ शब्दों में अभिव्यक्त हैं लेकिन सीधे-सीधे नहीं .. इसलिये नहीं कि मुझमें साहस नहीं है अभिव्यक्त करने का .. बल्कि इसलिये कि मेरे ऐसा करने से मेरे ख्वाब आहत हो सकते हैं .. मन से । मैं अपने अंदर की बात की प्रस्तुति के लिये .. रेखा और रंग का सहारा भी तो इसलिये नहीं ले सकता कि कोई समझ न जाये क्योंकि मेरे ऐसा करने से कोई सार्वजनिक हो सकता है .. जो मुझे भी और फिर शायद .. मेरे ख्वाबों को भी तो .. पसंद नहीं है ।