Saturday, April 30, 2011

मैं सोच रहा था ..

ज़िंदगी की
ये भी
एक हकीकत है ..
मैं सोच रहा था ..

बचपन के खेल ..

बचपन के खेल –
पिट्टूल .. कंचा .. बिल्लस .. और गिल्ली-डंडा ..
गाहे-बगाहे ..
याद आ जाते हैं ..

Thursday, April 28, 2011

कोशिश .. कि उसे भूल जाऊं ..

जो मैंने महसूस किया.. उसे लिख रहा हूं .. कि कई दफे कोशिश करके देख लिया कि उसे भूल जाऊं .. लेकिन यह भूल जाता हूं कि मुझे उसे भूलना है .. एक बात और भी है जो बताना नहीं भूलना चाहूंगा कि कई अरसा गुजर चुका है उसका नाम मैंने नहीं लिया है .. लेकिन वह है कि यादों में गहराई तलक समाहित है .. । एक बात है जो मुझे बहुत सुकून देती है कि यादों की कोई खिड़कियां नहीं होती कि कोई ताक-झांक कर ले ..

Wednesday, April 27, 2011

मुझे अच्छे नहीं लगते सपने ..

मैं सोना नहीं चाहता / इसलिये नहीं / कि .. इसमें वक्त जायज होता है / बल्कि / इसलिये कि / मुझे सपने आते हैं / और / सपने हकीकत नहीं होते / इसलिये तो कहता हूं कि / मुझे अच्छे नहीं लगते सपने ..

मैं सोच रहा था ..

विचारों का मंथन ..
मैं सोच रहा था ..
शब्द .. जहां पर्याप्त नहीं थे ..
वहां
फिर
तूलिका ने
साथ दिया ..

Monday, April 25, 2011

मैं सोच रहा था ..

रेखा और रंग .. समय के आघात से टूटकर कुछ इस तरह से इकट्ठे हो गये थे कि मजबूर होकर .. मैं सोच रहा था .. कि आखिर ये क्या संप्रेषित करना चाहते हैं ..

Sunday, April 24, 2011

मैं सोच रहा था ..

ऐसा भी होता है कि .. कुछ लिख रहा होता हूं .. या फिर .. कोई चित्र बना रहा होता हूं .. यादें चली आती हैं .. बिन बुलाये मेहमान की तरह .. स्वप्न में भी .. मैं सोच रहा था ..

रोज-रोज की बात ..

कि .. हर रोज (कई दफे)
कोशिश करके देख लिया कि
उसे भूल जाऊं
लेकिन
हर रोज (कई दफे)
यह भूल जाता हूं कि .. मुझे उसे भूलना है ..

भूलने का असफल प्रयास ..


a beautiful face
is
a
silent commendation ..
मैं सोच रहा था ..
पोट्रेट
बनाते हुए ..

Tuesday, April 19, 2011

एक कविता ..

प्राकृतिक जंगलों में ..
दुम दबाकर भागते

और
छुपते ..
wild animals .. को देखकर ..
मैं सोच रहा था ..
कि
वे .. शायद
शहरी कंक्रीट के
जंगलों के
representatives

के
wild behaviour

से
घबराये
हुए थे ..

इस चित्र की तरह ..

कई-कई जटिल स्थितियां .. गड्डमगड .. कुछ समझ नहीं आ रहा था .. इस चित्र की तरह ..
एक बात लेकिन गौर करने की है कि कई जटिल रेखाएं एक दूसरे से कुछ इस तरह से जुड़ी हैं कि जैसे कोई तारतम्य हो उनमें आपस में ..
कि जब किसी एक रेखा का रंग बदलने का प्रयास करो तो सारी रेखाएं एक साथ अपना रंग बदल देती हैं .. जैसे किसी दिशा में आगे बढ़ा कोई कदम .. किसी जटिलता के स्वरूप को बदल रहा हो ..

Saturday, April 16, 2011

अन्दर की बात ..

कभी .. कहीं .. लगता है कि जैसे शब्द अपर्याप्त हैं तो कभी ऐसा भी होता है कि रेखा और रंग अभिव्यक्ति की पूर्णता में सहायक प्रतीत नहीं होते .. फिर मैंने एक ही विषय पर .. शब्द रेखा और रंग .. सभी को मिलाकर देखा ..

मैंने सपने में देखा ..


कल ही की तो बात है .. मैंने सपने में देखा .. मछलियां हवा में उड़ रहीं थी और पक्षी पानी में तैर रहे थे ..

सपने में मुझे उड़ती मछलियों की संख्या कम दिखाई दीं और तैरते पक्षी ज्यादा दिखे थे ..

ये स्वप्न कैसा था कि पेड़ और पहाड़ .. वैसे के वैसे थे .. सुबह उठकर फिर मैंने इमानदारी से .. जो सपने में देखा था .. वो बना दिया ..

Wednesday, April 13, 2011


दिया जला .. दिया जला .. जगमग .. जगमग .. दिया जला .. अर्थात् अंधेरे में क्यों रहना .. ज्ञान के दिये जलाकर अज्ञानता का अंधेरा दूर करना जरूरी है .. । इसे विस्तृत अर्थो में लिया जाना चाहिये ..

मैं सोच रहा था ..


कोई कह रहा था - चिंता से चतुराई घटे .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. इसलिये चिंता नहीं चिंतन करना चाहिये ..

Tuesday, April 12, 2011

CONFUSION ..


यह चित्र दरअसल प्रतिबिंबित करता है .. state of mind को । किंकर्तव्यविमूढ़ .. चिंता .. और .. चिंतन की जटिल स्थिति का शायद परिणाम है - यह चित्रण । इसे नाम भी देना जरूरी था .. इसलिये नाम दिया है - CONFUSION ..

प्रयास .. ऐसा भी होता है ..


अंततः .. + - x / = zero .. यही लगता है .. कभी-कभी किसी दिशा में किया गया कोई प्रयास किसी गमले में लगाये किसी पेड़ की तरह होता है, जिसके फैलाव की एक सीमा होती है । ऐसी स्थिति किसी वृक्ष की तरह किसी को छांव नहीं दे सकती । फिर आप कई कोशिशें करते रहिये .. परिणाम एक ही आयेगा - अंततः .. + - x / = zero ..

Monday, April 11, 2011

मैं सोच रहा था ..


मेरे तो सपने देखने पर भी हंगामा खड़ा हो जाता है .. सपना तो सपना होता है .. जरूरी तो नहीं कि वह हकीकत में तब्दील हो .. मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था ..


Water is soft in nature and highly adjustable .. BUT .. this can not be underestimated .. and it can be disastrous .. e.g. SUNAMI .. मैं सोच रहा था ..

बहस ..

इंसान महत्वपूर्ण है .. लेकिन इंसानियत सर्वोपरि है .. इसे पढ़कर .. इस बात पर बहस छिड़ गई कि सर्वोपरि इंसान है या इंसानियत या स्वास्थय या वक्त .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी बहस में मुझे शामिल नहीं होना चाहिये ..

Sunday, April 3, 2011

कर्म महत्वपूर्ण है .. ज्योतिष कदापि नहीं ..

आने वाले कल का कोई केवल अंदाजा लगा सकता हैं .. कोई भी व्यक्ति भाग्य-विधाता तो नहीं है .. और फिर आप ज्योतिष तो अपने आपको कहियेगा ही मत .. क्योंकि ऐसा कहते ही आपसे मेरा विश्वास उठ जायगा । ज्योतिष के बताए हुए नुस्खे आपको किसी परेशानी से निजात दिला दें .. यह केवल इत्तेफाक हो सकता है .. केवल संयोग हो सकता है .. । ज्योतिष आपका भाग्य नहीं बदल सकता । कर्म महत्वपूर्ण है .. ज्योतिष कदापि नहीं .. ।