Saturday, March 19, 2011

संवेदनशीलता ..

श्री राहुल सिंह का ब्लाग देखता ही रहता हूं । उनका ब्लाग पढ़ना हमेशा ही अच्छा लगता है । शायद इसलिये भी कि वे हिंदी में लिखते हैं और संस्कृति के प्रति उनकी प्रतिक्रियात्मक संवेदनशीलता की भी मैं प्रशंसा करता हूं । मुझे प्रशंसा करना है .. ये इसलिये नहीं लिख रहा हूं । किसी की भी प्रशंसा करना मेरे लिये न तो बाध्यता है और न ही मजबूरी .. । यदि कोई चीज या कोई कार्य प्रशंसा के योग्य है तो उसकी प्रशसां जरूर किया जाना चाहिये । प्रशंसा करना अथवा बुराई करना या कोई नकारात्मक टिप्पणी करना .. महसूस करने या अनुभूति की .. सक्रिय प्रतिक्रिया है । मैं यह जो लिख रहा हूं वह महसूस करने की बात है और मैं तो वही लिख रहा हूं जो इस वक्त महसूस कर रहा हूं । संवेदनशील होकर भी निष्क्रिय पड़े रहना .. शायद मेरी फितरत नहीं है । फिर अभिव्यक्ति तो प्रकृति प्रदत्त अवयव है । आपकी सहमति या असहमति किसी अभिव्यक्ति के लिये भिन्न हो सकती है .. यह अलग बात है ।

festival of colours ..

आज रंगो का त्योहार है । कुछ रंगो के बारे में .. मैं जो समझता हूं उससे अवगत कराना चाहूंगा । पीला रंग, तेज, उर्जा व जागरूकता का प्रतीक है । लाल रंग प्रेम या प्रियता और शक्ति का आभास दिलाता है । हरा रंग प्रकृति का रंग है और इस रंग की बहुतायत या प्रचुरता है । नीला रंग व्याप्त है .. शांत आकाश में । बैगनी रंग के बारे में कहा जाता है कि यह रंग पूर्वाग्रहों को तोड़ने वाला होता है ।
ये अलग बात है कि कुछ रंगो का प्रयोग या उपयोग या उसकी प्रतिकात्मकता किसी प्रयोजन-विशेष के लिये होती है । उदाहरणार्थ ट्रेफिक सिग्नल्स में लाल .. पीले व हरे रंग का उपयोग .. अलग-अलग मायने के लिये होता है । कुछ वर्ग-विशेष कुछ रंगो को अपना प्रतीक बनाए हुए हैं .. ये अलग बात है ।
रंग प्रक़ति प्रदत्त है .. यह किसी की अमानत नहीं है .. किसी भी रंग पर आपका भी उतना ही अधिकार है .. जितना की किसी अन्य का ।

life .. health or wealth ..

जिन्हे वाद-विवाद .. जिरह .. पसन्द है .. यह उनके लिये है - ज़िदगी और दौलत के अंतर व उनके महत्व को उनसे जाना जा सकता है .. जो भूकम्प .. सूनामी .. व .. परमाणु विकिरण के शिकार हैं ..

importance of water ..

जो लोग, अपने जीवन के कई बहुमूल्य छण, पीने के साफ पानी के लिये, लम्बी लाइन लगाकर, खर्च करते है .. पानी का महत्व .. उनसे पूछना चाहिये ..

मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..

कुछ .. आपस में बातें कर रहे थे ..
एक - moral values .. नैतिकता .. जैसे शब्द तो ऐसा लगता है कि सिमट कर रह गये हैं अब केवल किताबों में ..
दूसरा - व्यवहार से तो ऐसे गायब हो गये हैं कि जैसे गधे के सिर से सिंग .. ।
तीसरा – रूपये-पैसे की भाषा में .. ये नैतिकता और ये moral values जैसे शब्दों का उपयोग तो ऐसा लगता है कि जैसे आप किसी गधे के सिर पर सिंग की कल्पना कर रहे हों ।
चौथा - बेचारा गधा .. ये बुद्धिमान लोग .. इस सीधे-सादे प्राणी के बारे में न जाने क्यों पड़े रहते हैं ।
पांचवा – काजी जी काहे को दुबले .. तो .. मालूम हुआ .. दुनिया का अंदेशा .. । यार छोड़ो .. फिजूल .. अपना समय क्यों बर्बाद करें .. आओ .. चाय पी लें .. चाय ठंडी हो रही है .. ।
मैं सुन रहा था ..
मैं सोच रहा था ..

Tuesday, March 15, 2011

ज़िंदगी .. और .. जापान ..

JAPAN .. natural disaster .. men made disaster .. innocent people .. lives .. कुछ समझ नहीं आता ..

Monday, March 14, 2011

उम्र और .. उम्र तजुर्बे की ..

मेरे पिछले BIRTH DAY पर किसी ने पूछा - आपकी उम्र ?
मैंने कहा - 16 साल और बाकी के साल .. तजुर्बे में शामिल ..

दृढ़ इच्छा शक्ति की असामित ताकत ..

मैं सोचता था .. मुझे विश्वास भी था .. लेकिन पहले .. न ही कोई ऐसा उदाहरण मेरे पास था कि जिससे मैं आत्मविश्वास के साथ कह सकूं कि दृढ़ इच्छा शक्ति की असामित ताकत का आप अंदाजा नहीं लगा सकते । इन दिनों .. मुझे जो अनुभव हुए .. वे मेरे लिये अभूतपूर्व थे और मैं कल्पना में भी नहीं सोच सकता था कि इच्छा शक्ति में इतनी ताकत हो सकती है । मैंने सोचा कि अपने इस अनुभव को जरूर ब्लाग में लिखूं .. । दृढ़ इच्छा शक्ति को बनाये रखने का .. आज मैं हिमायती हूं ।

Sunday, March 6, 2011

मै सोच रहा था ..

एक हम हैं कि तिकोन का चौथा कोना ढूंढने में रह गये और वक्त गुजरता चला गया .. मैं कैलेंडर देख रहा था .. मै सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था ..

कई बार फिसलते दिल की बेकाबू रफ्तार को पकड़ने में मेरी उर्जा और वक्त जोनों ही फ़िजूल ही जायज होते रहे .. और विडम्बना तो देखो कि उम्र के इस पड़ाव में भी .. अब भी मैं यही काम कर रहा हूं ..कभी विवेक से काम लेकर तुम शायद मेरी इस हालत पर रहम करो .. थका हुआ दिमाग कह रहा था .. अपने ही दिल से .. । दिमाग की इस व्यथा को मैंने कहीं पढ़ा .. पढ़कर मैं सोच रहा था .. ।

अहंकार ..

बहुत खुश होकर अपनी कविताओं की पहली पुस्तक लेकर वह नवोदित कवि उनके पास गया था । वे एक स्थापित साहित्यकार थे । उनके प्रति यथोचित से ज्यादा सम्मान का प्रदर्शन वह कर रहा था और बड़े शान से उसने अपनी वह पुस्तक उनके सामने रखी । पुस्तक के दो-चार पन्ने लापरवाही से पलटने व पुस्तक की दो-चार कविताओं पर एक नजर डालकर वे उस नवोदित कवि से मुखातिब हुए और उसकी ओर कुछ इस तरह से देखा कि स्पष्ट लग रहा था कि उनके इस तरह से देखने से अचानक ही अब जैसे वह गंभीर अपराध-बोध से ग्रसित हो गया हो । वह चुपचाप खड़ा रहा । उसे बैठने के लिये भी नहीं कहा गया । किताब पर वे अब बोले – ठीक है .. लेकिन .. चलिये ठीक है .. । सुनकर वह अब शायद चुपचाप निकल जाने में ही भलाई समझा और जी बहुत-बहुत धन्यवाद कहते हुए वहां से चला गया ।
मैंने उसके जाने के बाद उनसे केवल यह कहा – कि शायद परिपक्वता वक्त के साथ आती है .. फिर हंसते हुए आगे कहा – बछड़े और गाय में अंतर तो होता ही है .. और वह भी कह बैठा जो मुझे उनसे नहीं कहना चाहिये था – कि बच्चों में देखो कितनी फ्लेक्सीबिलीटी होती है और बूढ़े होते-होते शरीर में अकड़न बढ़ जाती है । वे शायद मेरा आशय समझ चुके थे ।

मैं अब उठा और मेरा यकीन मानिये कि दुबारा मैं आज तलक उनके पास नहीं गया । उसके बाद वह नया लेखक अपनी कई किताबें प्रकाशित कर चुका लेकिन उसने कभी पलटकर इन स्थापित साहित्यकार की ओर अपना रूख नहीं किया । निश्चित रूप से उन्होने अपने शुभचिंतकों की दो कतारें तो खो दी थी .. ।
मैं उस वक्त के उस नये लेखक को नाम व सूरत दोनो से पहचानता हूं लेकिन उन्हें शायद यह गुमान भी नहीं होगा कि मैं उनकी श्रद्धा और तिरस्कार व अहम् के सिलसिले का साक्षी था ।

Saturday, March 5, 2011

music is beyond age ..

music is beyond age, status or any other boundaries .. यह हकीकत है .. इसमें कोई शक नहीं ..

Friday, March 4, 2011

मैं सोच रहा था ..

विश्वास के बाद ही तो विश्वासघात .. शब्द आया होगा .. मैं सोच रहा था ..
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A successful team may not be good or equal in qualification .. in efficiency and the work experience .. BUT they are equal in COMMITMENT .. मैं सोच रहा था ..
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जो सफल होते हैं .. उनके पास भी तो दो हाथ ( कर्म के लिये), दो पैर (आगे बढ़ने के लिये) दो आंखे (observation के लिये) और एक नाक (अहम्) होता है अर्थात् वही सब-कुछ होता है .. जो असफल होता है .. लेकिन फिर भी एक सफल और कोई दूसरा असफल होता है .. । चिकित्सा-विज्ञान की पहली सीढ़ी में एनाटामी व फिजियालाजी पढते मैंने कभी लिखा था । मैं पढ़ रहा था .. मैं सोच रहा था .. ।
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कई बार फिसलते दिल की बेकाबू रफ्तार को पकड़ने में मेरी उर्जा और वक्त जोनों ही फ़िजूल ही जायज होते रहे .. और विडम्बना तो देखो कि उम्र के इस पड़ाव में भी .. अब भी मैं यही काम कर रहा हूं ..कभी विवेक से काम लेकर तुम शायद मेरी इस हालत पर रहम करो .. थका हुआ दिमाग कह रहा था .. अपने ही दिल से .. । दिमाग की इस व्यथा को मैंने कहीं पढ़ा .. पढ़कर .. मैं सोच रहा था ..।
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Wednesday, March 2, 2011

you and the world ..

You must know this and understand this that you are the supreme authority in this world or earth .. just think that - if you are not there or before your arrival and after your departure from this earth there is no realization of the world .. how can you see the world .. so world exists only till you are there .. so you must establish a good or very-very good or rather best of your efforts in the direction of humanity by creating memorable lovely examples .. you must go on attempting creation of never-before positive images and attitude ..

keep dreaming and make a reality ..

Do not listen to those who saySTOP DREAMING AND FACE REALITY .. instead tell yourselfKEEP DREAMING AND MAKE IT A REALITY .. शब्दों में असीमित ताकत होती है । सकारात्मकता की सोई हुई उर्जा को जगा सकता है कोई .. तो वो हैं शब्द .. मैं सोच रहा था ..

determinative sentence ..

Most determinative sentence which always should be followed in lifeTHE RACE IS NOT OVER BECAUSE I HAVE NOT WON YET .. सकारात्मकता .. पूरी तौर पर ..

Tuesday, March 1, 2011

6th sense .. parapsychic powers ..

6th sense .. parapsychic powers .. पिछले दिनों ..इन विषयों से जुड़ी कुछ बातें .. पढ़ने, सुनने व देखने मिलीं .. । ये वे बातें हैं जिनको सामान्य तौर पर तार्किक संदर्भों में समझना और समझाना मुश्किल है । इससे संबधित कहीं पढ़ा था .. आज ही .. फिर से .. इसलिये वो बात ताजी हो गई और सोचा कि इसे share करूं .. ब्लाग में ।