Tuesday, January 25, 2011

मैं सोच रहा था ..

24 जनवरी 2011 – दुखद समाचार - हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य गायक पं. भीमसेन जोशी नहीं रहे –
(1972 – पद्म श्री, 1985 – पद्म भूषण, 1999 – पद्म विभूषण, 2008 – भारत तत्न)
जो ख़ास होते हैं .. ख़ास व्यवस्था होती है .. कि हमारे व्यवस्था की यह ख़ासियत है .. मैं अख़बार में कहीं पढ़ रहा था ..
आगे और कहीं पढ़ा –
बात 1960 की है । कोलकाता ( उस समय कलकत्ता ) में पं. भीमसेन जोशी के गायन कार्य़क्रम में ख्यात बंगाली अभिनेता पहाड़ी सन्याल भी थे । कार्यक्रम की समाप्ति पर जोशी जी सन्याल जी के पास पहूंच कर उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में सन्याल के घर घरेलू नौकर के रूप में काम किया था ।
पढ़कर .. मैं सोच रहा था .. जो खा़स होते हैं .. उनकी खा़सियत के बारे में .. उनके बड़प्पन के बारे में ..

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