Friday, January 28, 2011

Nice lines ..

Nice lines when Nails are growing we cut nails .. not fingers ..but .. similarly .. when EGO is growing .. we must cut our EGO and not relations ..

Thursday, January 27, 2011

मैं सोच रहा था ..

कभी कोई ख़्याल यूं ही नहीं आता .. मैं सोच रहा था .. कि कहीं उत्पन्न विचारों की तरंगों को दिमाग पकड़ता है .. यह मेरी अपनी सोच है या फिर एक सत्य .. कुछ समझ नहीं आता है ..

मैं सोच रहा था ..

न जाने क्यों लोग आपस में बात तलक करने से कतराते हैं .. दिल का कोई कोना तो चाहता है कि मिलें और न मिले तो क्या हुआ .. कम से कम बात तो करें .. लेकिन .. फिर सामने आता है - ego .. कि .. पहल कौन करे .. कहीं सम्मान को ठेस लगने का डर तो नहीं .. मैं सोच रहा था .. लेकिन क्यों और इससे क्या ..

a good message ..

most beautiful music in the world is your own heart beat .. as it gives you assurance .. constantly .. that you are surviving .. even when the whole situation is against you .. the whole world leaves you alone ..

a thoghtful message ..

No matter .. how good your intentions are - the world judges you by your presentations ..
BUT .. No matter .. how good your presentations are - the God judges you by your intentions ..
( This - sent to me throgh SMS by dr kavindra sarbhai .. )

Tuesday, January 25, 2011

मैं सोच रहा था ..

24 जनवरी 2011 – दुखद समाचार - हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य गायक पं. भीमसेन जोशी नहीं रहे –
(1972 – पद्म श्री, 1985 – पद्म भूषण, 1999 – पद्म विभूषण, 2008 – भारत तत्न)
जो ख़ास होते हैं .. ख़ास व्यवस्था होती है .. कि हमारे व्यवस्था की यह ख़ासियत है .. मैं अख़बार में कहीं पढ़ रहा था ..
आगे और कहीं पढ़ा –
बात 1960 की है । कोलकाता ( उस समय कलकत्ता ) में पं. भीमसेन जोशी के गायन कार्य़क्रम में ख्यात बंगाली अभिनेता पहाड़ी सन्याल भी थे । कार्यक्रम की समाप्ति पर जोशी जी सन्याल जी के पास पहूंच कर उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में सन्याल के घर घरेलू नौकर के रूप में काम किया था ।
पढ़कर .. मैं सोच रहा था .. जो खा़स होते हैं .. उनकी खा़सियत के बारे में .. उनके बड़प्पन के बारे में ..

मैं सोच रहा था ..

अपनी उम्र का हिसाब इस बात से करना चाहिये कि आपके सही अर्थो में दोस्त कितने हैं .. शुभ चिंतक कितने हैं .. । उम्र का हिसाब वर्षों में करने से क्या फायदा .. निरर्थक .. कोई कह रहा था .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..

Sunday, January 23, 2011

मैं सोच रहा था ..

किसी का काम करने की, किसी को कोई बाध्यता नहीं लेकिन काम नहीं कर पाने की स्थिति में समय पर सूचित या अवगत करा देना जरूरी है .. यह काम कराने से भी शायद ज्यादा महत्वपूर्ण व जरूरी है .. मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था ..

मैं सोच रहा था .. आसपास की व्यथा को अभिव्यक्त करना ही चाहिये ..

Friday, January 21, 2011

शब्द ..

वो लेख ही क्या है जो आपको अंदर तक हिला न दे । हिलाने का मेरा अभिप्राय सकारात्मकता लिये हुए है .. क्योंकि मैं खुद भी नकारात्मकता में विश्वास नहीं करता हूं । जिस लेख को आपका मन सहेज कर रखना चाहता है ऐसा लेख .. दिल से बाहर आकर शब्दों का रूप लिये होता है । शब्दों की और अभिव्यक्ति की .. ताकत .. असीमित होती है .. मैं लिख रहा था .. मैं सोच रहा था ..

feed back के लिये .. दिल से धन्यवाद ..

मुझे लगा था कि शायद कोई नहीं देखता है मेरे ब्लाग को .. लेकिन feed back से मालूम हुआ कि मेरे ब्लाग को पढ़ने वाले भी हैं .. । महत्वपूर्ण .. अब यह है कि जो रफ्तार थी .. लिखने की उसे बनाये रखना जरूरी है । मैं बहुत जल्द ही फिर से नियमित हो जाउंगा .. ब्लाग में भी । जिनने भी feed back दिया है मैं तहे दिल से उनका शुक्रिया अदा करता हूं ।
Yes .. there the urge is .. to write regularly .. just forgive me .. the reason was the lack of urge .. a push ..

Monday, January 17, 2011

sprain is .. perhaps .. a worst experience than a fractutre ..

16 जनवरी 2011 - हम सभी बारनवापारा जंगल देखने जा रहे थे । रास्ते में कहीं ट्रेफिक-जाम था । उतरकर देखना चाहा था कि क्या हुआ है .. सड़क पर किनारे - पैर फिसल गया .. left ankle joint में जबरदस्त सूजन .. ईश्वर को धन्यवाद कि fracture नहीं हुआ ।

Thursday, January 6, 2011

मैं सोच रहा था ..

कुशल घुड़सवार भी घोड़े से गिरता है .. कोई अच्छा तैराक भी पानी में डूब सकता है .. कोई प्रसिद्ध व सफल हार्ट स्पेशलिस्ट भी हार्ट अटेक से मर सकता है .. किसी भी अच्छे पायलेट की मौत भी तो वायुयान दुर्घटना में हो सकती है .. कई एस्ट्रालाजर्स हैं, जिनको की कई सिद्धहस्त समझते हैं .. लेकिन दूसरों का भविष्य बताने वाले ये हस्त-रेखा विशेषज्ञ व ये एस्ट्रालाजर्स अपने ही भविष्य से बेखबर रहते हैं .. । शरीर की कौन सी कोशिका कब अपना व्यवहार बदलकर दुष्टटता कर बैठे और कैन्सर का सबब बन बैठे .. ये कौन बता सकता है .. शायद कोई नहीं .. ।
फिर घमंड काहे का .. किस बात का .. ।
तो फिर महत्वपूर्ण क्या है .. यह प्रश्न स्वभाविक है .. मैं सोच रहा था .. मुझे यह तो नहीं मालूम कि महत्वपूर्ण क्या है .. लेकिन मैंने महसूस किया है कि - दिल से निकली शुभकामनाओं में और दिल से निकली आह में निहीत उर्जा की ताकत निश्चित रूप से असरकारक होती है और उसका परिणाम व प्रभाव निश्चित होता है .. अमृत या फिर विष की तरह .. ।
यह मैंने लिखा था - 12 जुलाई 2006 की सुबह 07.45 बजे । उपर लिखीं इन सारी बातों से .. मैं आज भी सहमत हूं .. ।

मैं सोच रहा था ..

मैंने बहुत पहले, 12 जुलाई 2006 को लिखा था .. आज वह कागज कहीं से सामने आ गया - आप बबूल का पेड़ लगाकर आम के पेड़ की कल्पना करते हैं .. । कल्पना करना तो आपका अधिकार है लेकिन .. मैं सोच रहा था .. कि क्या आप चिंतन भी करते हैं कि बबूल का पेड़ लगाकर आप आम के फल प्रप्ति की कैसे आस लगाए बैठे हैं । सकारात्मक प्रयास की परिणति सदैव लाभकारी व नकारात्मकता का परिणाम अनिष्टकारी ही होगा ।