Friday, October 29, 2010

मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था ..

एक - सरलता व सहजता का कभी-कभी नकारात्मक प्रभाव देखा गया है .. ।
दूसरा - हो सकता है .. लेकिन, ऐसा प्रभाव चिर स्थाई नहीं होता .. यह प्रभाव कालांतर में अंततः सकारात्मकता में परिवति्रत हो ही जाता है ..
तीसरा - बाद मरने के सबाब आये तो क्या फायदा .. ।
चौथा - कभी ऐसा भी तो होता है कि, भैंस के आगे बीन बजाये .. भैंस पड़ी पगुराये .. ।
एक - सांप हो या फिर बिच्छु .. अपनी प्रकृति तो नहीं बदलते .. सरलता व सहजता की भाषा व अर्थ व मायने की भला उन्हें काहे की समझ .. ।
तीसरा - कुटिलता का जवाब कुटिलता ही होना चाहिये .. तभी सबक मिलता है .. ।

सहमति व असहमति के इस वार्तालाप को .. मैं सुन रहा था .. मैं सोच रहा था .. ।

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