Sunday, March 7, 2010

चिंतन ..

कुछ न कुछ छुपा है .. सभी के अंदर । मेरे अंदर भी है .. मैं कोई दुनिया से अलग थोड़े न हूं .. और मुझे मालूम है कि आपके अंदर भी है .. । छुपी वह बात .. वह खुशी या वह दर्द .. मैं किसी से बांट नहीं सकता .. कभी बांटने का ख्याल आता भी है तो फिर .. डर जाता हूं कि कहीं .. फिसलकर मेरी बात आम न हो जाये । इन बातों का रिश्ता मेरी सांस से बेहद करीब का है । जब तक सांस है .. तब तलक जिंदा है वह बात .. वह जज्बात .. मेरे अन्दर .. फिर, सांस के उखड़ते ही .. फिर वह भी खत्म .. वह कह रहा था । वह कह रहा था .. मैं सोच रहा था ..

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