Sunday, February 21, 2010

the impressive lines ..

Have a unique character like salt - its precence is not felt when
quantity is right .. but its its absence makes things testless ..

I came across these impressive lines .. which I wanted to share with you ..

Tuesday, February 16, 2010

अभिव्यक्ति ..

कई ऐसे डाक्टर हैं जिनका चिंतन प्रभावशाली व तारीफ के काबिल है । यहां मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि मैं स्वयं पेशे से एक डाक्टर हूं इसलिये डाक्टर की तारीफ कर रहा हूं .. कतई ऐसा नहीं है ।मेरे एक मित्र हैं जो पेशे से चिकित्सक हैं .. वे उस दिन ऐसे ही किसी बात पर कह रहे थे - अपने देश में ये जो बाबूओं का राज है वह आज की स्थिति में शरीर में होने वाली डायबिटिज़ जैसी बीमारी की तरह घातक है .. । मैं उनके इस अवलोकन .. इस पैनी निगाह पर सोच रहा था ।मैं अहा ज़िदगी का फरवरी 2010 का अंक पढ़ रहा था । उसमें पृष्ठ 82 में डा अरविन्द नेराल का पत्र-लेख 'आज में जीना सिखो निन्नी' पढ़ा । पढ़कर मुझे अच्छा लगा । मैं उन्हें सेल-फोन पर SMS कर बधाई दूंगा ।मैं अपनी मानसिकता की बात कर रहा हूं कि .. चाहे कोई भी व्यक्ति हो या फिर वह कोई भी प्रोफेशन का हो .. अपने अन्दर की अनुभूति को यदि व्यक्त करने की आदत यदि उसमें है तो वह मेरी नजर में प्रशंसनीय है .. उसके अभिव्यक्ति का माध्यम फिर कोई चाहे कोई भी हो .. कविता हो या फिर लेख या फिर चित्र या फिर म्यूज़िक . । जो किसी अभिव्यक्ति को व्यक्तिगत होने की टिप्पणी देते हैं उनसे मेरा सनम्र निवेदन है कि किसी अभिव्यक्ति को आप इस नज़र से देखें कि हो सकता है कि किसी का कोई अनुभव आपके किसी काम आ जाये और तब उस स्थिति में ऐसी अभिव्यक्ति की साथर्कता का अहसास आप कर सकते हैं । जो सही है उसे कहने व लिखने में कोई संकोच नहीं है । लिखते समय केवल एक बात का ध्यान रखना चाहिये कि कोई व्यक्तिगत टिप्पणी किसी के लिये कभी न हो और ऐसा किसी को भी नहीं करना चाहिये .. मैं ऐसा सोचता हूं .. ।

Sunday, February 7, 2010

साहबियत पर
बड़े साहब की लिखी
कविता की तारीफ कर रहे
किसी छोटे साहब
के टेबल पर
शोभायमान
कैंची को देखकर
छोटे साहब
और
कैंची
की फितरत पर
मैं सोच रहा था ..

Thursday, February 4, 2010

पैदा होते ही
रोता है वह
और
यदि रोता नहीं है तो फिर
उसके रोने का

बेसब्री से इंतजार होता है

और

फिर जब
वह रोता है तब
सब खुश होते हैं
लेकिन

जब वह जाता है

तब

सबको रूलाकर जाता है
और

यह सिलसिला तो ..

अनिश्चित काल तक

खत्म नहीं होने वाला

शायद ..

मैं सोच रहा था .. ।

Wednesday, February 3, 2010


जाने कितने रंग
लेखक - डा जे एस बी नायडू

मध्य भारत में, छत्तीसगढ़ प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, विश्वरंजन एक प्रसिद्ध साहित्यकार, चित्रकार व चिंतक हैं । फ़िराक गोरखपुरी उनके नाना हैं । व्यक्तित्व विश्लेशण पर आधारित इस पुस्तक की मूल भावना सरल व प्रेरणादायक प्रस्तुति है ।

ज्योतिष और शास्वत सत्य -

अच्छी जिंदगी जीने की चाहत किसे नहीं होती .. और फिर ऐसी ही किसी स्थिति को प्राप्त करने के लिये लोग ज्योतिष का सहारा लेते हैं । यही वजह है कि ज्योतिष एक ऐसा धंधा है जिसे दुनिया की किसी मंदी का कोई असर न तो कभी पड़ा है और न ही कभी पड़ सकता है और यह एक शाश्वत सत्य है .. ।

- जेएसबी